धार,महिला एवं बाल विकास अधिकारी की लापरवाही के कारण सिर्फ कागजों पर शासन की जनहितैषी योजना संचालित हो रही है।

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विभागीय अधिकारियों की नाराजगी के कारण अनिवार्य सेवानिवृत्त का प्रस्ताव भेजा राज्य सरकार को

धार। महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी की लापरवाही के कारण राज्य सरकार की जनहितैषी योजनाओं पर पानी फेरा जा रहा है। योजनाओं की जानकारी की खानापूर्ति सिर्फ कागजों पर ही हो रही हैं, धरातल पर शून्य हैं। योजनाओं की जानकारी लेने के लिए कार्यालय जाते हैं तो विभागीय अधिकारी मिलने से कतराते हैं और अपनी कारगुजारियों को छिपाने के लिए चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के माध्यम से मिलने से मना कर देते हैं। विभागीय अधिकारी कलेक्टर से भी बड़े हो गए हैं, जबकि कलेक्टर आसानी से आम जनमानस से मिलते है, किन्तु ये महाशय मिलने से ही मना कर देते हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिला कार्यक्रम अधिकारी पिछले छः महीने में लगभग तीन माह तक अस्वस्थ होने का आवेदन देकर अवकाश पर रहे औऱ अवकाश को बढ़ाते रहे। कार्यालय में अधिकारी कब आयेंगे यह जानकारी पूछने पर कार्यालय के कर्मचारी कहते हैं कि यह कार्यालय तो भगवान के भरोसे हैं, बस चल रहा है। जिला कार्यक्रम अधिकारी कार्यालय में बैठते ही नहीं है। अधिकारी के कार्यालय में नहीं होने के कारण कार्यालयीन कामकाज भी ठप्प हो जाते हैं। विभागीय कर्मचारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को समय पर वेतन नहीं मिलने के कारण सभी कर्मचारियों के त्यौहार पावन पर्व राखी, ईद आदि काफी परेशानी का सामना करना पड़ा है। अवकाश से आने के बाद जिला कार्यक्रम अधिकारी से सम्पर्क करना चाहा तो मिलने से मना कर दिया। जिला मुख्यालय पर होने वाली कलेक्टर की मीटिंग में भी नदारद रहते हैं। कोरोना काल के दौरान विभाग की आंगनवाडी बंद पड़ी हुई है, आम जनमानस परेशान हो रहा है, अधिकारी मिलते नहीं है। राज्य सरकार जनहितैषी योजना लाड़ली लक्ष्मी, नवजात शिशुओं का टीकाकरण, प्रसव काल में महिलाओं को मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी, शिशुओं पोषण आहार, मातृत्व का पूरक पोषण आहार के वितरण की जानकारी तो कागजो पर पूरी तरह से दर्शाई जा रही हैं और विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी कागजों में खानापूर्ति करके समय पर भेजी जा रही हैं, योजनाएं सिर्फ कागजों पर संचालित की जा रही हैं और धरातल पर कुछ भी नहीं है। अधिकारी के कार्यालय में नहीं होने से विभागीय कार्य तो प्रभावित हो ही रहे हैं और फील्ड में मोनिटरिंग नहीं होने के कारण धरातल पर आम लोगों को राज्य सरकार की जनहितैषी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। अधिकारी अस्वस्थ हैं तो अनिवार्य सेवानिवृत्त ले ले, किन्तु आम जनमानस नुकसान न पहुचाये।

विभाग दे रहा है अनिवार्य सेवानिवृत्त!!

अपुष्ट सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी व महिला बाल विकास विकास के उच्च अधिकारियों की मीटिंग से नदारद रहने के कारण अधिकारी वर्ग खासा नाराज हैं। उच्च अधिकारियों की नाराजगी के चलते जिला कार्यक्रम अधिकारी को अनिवार्य सेवानिवृत्त का प्रस्ताव भी राज्य सरकार को भेजा जा रहा है!!


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