एकीकृत महिला बाल विकास परियोजना झाबुआ के अंतर्गत वर्ष 2020 में मानवसेवी कार्यकर्ता/सहायिका की नवीन नियुक्तियों को लेकर आपत्तिकर्ता के अनुसार नियम के विरुद्ध अपात्र महिलाओं की साठ गाठ कर गलत तरीके से नियमों के विरूद्ध नियुक्तियां की गई जिस संबंध में आपत्तिकर्ताओं द्वारा यथासमय आपत्तिकर्ता रोशनी पति पप्पू बड़ाखिया ग्राम नरवालीया, रेखा वडखिया ग्राम डूगराधना, सूर्या पति विनोद डामोर, ग्राम माकनकुई, श्रीमती मनीषा पति राकेश वसुनिया निवासी झायड़ा द्वारा a one morning news और sw24 न्यूज़ को बताया गया कि उन्हें 21-8-2020 को आपत्ती के संबंध में ली गई बैठक हेतु किसी भी प्रकार की पहले से सूचना नहीं दी गई कोई लिखित में नोटिस नहीं दिया गया अचानक मुख्यालय पर बुलाकर बिना पढ़ाए समझाएं सूचना पत्र पर हस्ताक्षर लिए गया जिस संबंध में आपत्तिकर्ता मनीषा का स्पष्ट कहना है कि मुझे मेरा पक्ष रखने का अवसर तक नहीं दिया गया एवं आपत्ती के संबंधित कोई भी दस्तावेज हमसे नहीं मांगे और कोई दस्तावेज की जांच नहीं की गई बैठक नाम मात्र रखी गई है । जिसमें उपस्थित हुए आपत्तिकर्ता ओ से रजिस्टर में हस्ताक्षर लिए गए, एकीकृत महिला एवं बाल विकास, परियोजना अधिकारी मैडम के द्वारा कहा गया कि अब तुम घर जाओ।


संबंधित बैठक की जानकारी आपत्ति कर्ताओं को सूत्रों से प्राप्त होने के बाद तत्काल जिला मुख्यालय पर सुनवाई हेतु अग्रिम तिथि की मांग करते हुए लिखित आवेदन प्रस्तुत किया गया है ।परंतु संबंधित अधिकारी गण द्वारा शिकायतकर्ताओं के आवेदन को अनदेखा करते हुई बैठक ली गई ।
शिकायतकर्ता द्वारा बताया कि अधिकारी कर्मचारियों की
पूर्व से सांठगांठ कर नियुक्तियां की गई है। जिस संबंध में आपत्तिकर्ता के ससुर भारू निवासी माकंकुई ने स्पष्ट जानकारी दी गई है कि नियुक्ति के लिए रिश्वत की मांग की जाती जो आवेदक रिश्वत देता उनकी नियुक्ति पूर्व से तय हो जाती है। भारु के गाव किसी अन्य ग्राम की निवासी को नियम के विरूद्ध नियुक्ति की गई है। भारु द्वारा यह भी कहा गया है कि रिश्वत के संबंध में उनके पास पर्याप्त सबूत भी है।

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आपत्तियों के संबंध में अजय चौहान, प्रभारी जिला कार्यक्रम महिला एवं बाल विकास झाबुआ द्वारा स्वयं आपत्ति के संबंध में कहा गया कि एपीएल बीपीएल की सूची जनपद से बुलाई जाती जिसको जांच कर आवेदक को अंग प्रदान किए जाते हैं परंतु दूसरी ओर आपत्तिकर्ता श्रीमती काली साधु भाबर का आरोप है कि अनीता अमलियार द्वारा फर्जी बीपीएल राशन कार्ड लगाया गया बीपीएल राशन कार्ड के उन्हें अंक भी दिए गए है। चौहान सहाब द्वारा स्वयं यह बताया गया है कि पूर्व में लगाए गए दस्तावेज के आधार पर निराकरण किया गया अब प्रश्न यह है कि जब पूर्व में लिए गए दस्तावेज के आधार पर ही आपत्ति का निराकरण किया गया तो ऐसे में आपत्ती लेने का तात्पर्य क्या है। क्या महिला बाल विकास अधिकारियों के द्वारा नियुक्तियों के पूर्व जनपद द्वारा बुलाई गई बीपीएल सूची पर गौर नहीं किया गया या जानबूझकर अनदेखा किया गया आपत्ति कर्ता मनीषा का स्पष्ट आरोप है कि बैठक में बुलाने के बाद हमें अपना पक्ष रखने नहीं दिया इससे यह स्पष्ट होता है नियुक्तियों को लेकर पारदर्शिता नहीं है। इस संबंध उचित जांच होनी चाहिए।