झाबुआ। Am Live News bureau report. झाबुआ। माननीय न्यायालय के द्वारा फर्जी मार्कशीट मामले में पुलिस थाना प्रभारी को आरोपीगण के विरुद्ध प्रकरण पंजीकृत कर अनुसंधान करने का आदेश दिया । फर्जी मार्कशीट बनाने के मुख्य मास्टरमाइंड राजू पिता अंदरू मंडोरिया एवं मोनिका पिता अंदरु मंडोरिया एवं सुरेंद्र सिंह पिता निर्भय सिंह चौहान प्रधानाध्यापक फर्जी मार्कशीट बनाने वाले तीनो आरोपीगण बहुत जल्द होंगे पुलिस की गिरफ्त में। मामला है जिला मुख्यालय झाबुआ से महज 7 से 8 किलोमीटर दूरी पर प्राथमिक विद्यालय पिपलिया से आरोपीगण में मोनिका पिता अंदरू मंडोरिया एवं सुरेंद्र सिंह पिता निर्भय सिंह चौहान प्रधानाध्यापक एवं राजू पिता अंदरू मंडोरिया,सहायक आयुक्त वाणिज्यिक कर विभाग रतलाम डिविजन, सस्पेंड अधिकारी की मिली भगत से शासन-प्रशासन को गुमराह करते हुए अभियुक्त क्रमांक 1-मोनिका के द्वारा वर्ष 1994-95 में प्राथमिक विद्यालय पिपलिया तहसील एवं जिला झाबुआ से कक्षा 5 वी उत्तीर्ण की गई थी शासकीय प्राथमिक शाला के ओरिजिनल स्कूल रिकॉर्ड अनुसार 800 पूर्णांक में से 370 प्राप्तांक मोनिका पिता अंदरू को आए थे जोकि स्कूल रिकॉर्ड में दर्शाया गया है। उक्त मामले की शिकायत मयदस्तावेज कलेक्टर जिला झाबुआ पुलिस अधीक्षक जिला झाबुआ, पुलिस थाना प्रभारी कल्याणपुर, व महिला एवं बाल विकास विभाग जिला झाबुआ, एवं कार्यालय कलेक्टर जनजातीय कार्य विभाग जिला झाबुआ को लिखित शिकायत प्रस्तुत की गई थी।

जनजातीय कार्य विभाग जिला झाबुआ के शिकायत जांच दल अधिकारियों के द्वारा उक्त शिकायत जांच में डुप्लीकेट अंक सूची को अवैध पाते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग जिला झाबुआ के द्वारा जांच में कक्षा 5 वी उत्तीर्ण मार्कशीट अवैध पाते हुए, कार्यालय एकीकृत बाल विकास सेवा परियोजना राणापुर जिला झाबुआ के द्वारा मोनिका पिता अंदरू मंडोरिया के विरुद्ध आदेश पारित करते हुए नौकरी से बर्खास्त किया गया। एवं कार्यालय कलेक्टर जनजातीय कार्य विभाग जिला झाबुआ के द्वारा आरोपी सुरेंद्र सिंह पिता निर्भय सिंह चौहान के विरुद्ध आवेदक को एवं वरिष्ठ अधिकारीगण को गुमराह करते हुए शिकायत जांच प्रतिवेदन एवं आदेश में लेख किया गया कि साक्ष्य के अभाव में आरोप सिद्ध/असिद्ध किया जाना संभव नहीं।सुरेंद्र सिंह चौहान के द्वारा एक शासकीय कर्मचारी द्वारा अपने पदीय कर्तव्य के विपरीत कार्य करने एवं शासकीय कार्य में लापरवाही वह उदासीनता बरते जाने के फलस्वरुप इनका यह उक्त कृत्य म.प्र. सिविल सेवा आचरण नियम के प्रावधानों के विपरीत होने से मध्य प्रदेश सिविल सेवा वर्गीकरण नियंत्रण तथा अपील में निहित प्रावधानों के तहत इन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है। ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि आखिर शिकायत जांच में उक्त डुप्लीकेट मार्कशीट अवैध पाते हुए मोनिका मंडोरिया की सेवा समाप्त की गई है परंतु आखिर उक्त मार्कशीट किन के माध्यम और कहा से बनाई गई यह जांच दल की जांच रिपोर्ट में आज भी संदेह की परिधि में है।

क्या शासन प्रशासन को यह जानना जरूरी नहीं है कि आखिर यह फर्जी मार्कशीट किन के द्वारा बनाई गई है। जांच दल द्वारा जानबूझकर आज तक आवेदक के उक्त जांच संबंधी कथन तक दर्ज नहीं किया जाना भी जांच दल पर नियम के विरुद्ध जांच करना भी संदेह प्रतीत करता है।
कार्यालय कलेक्टर जनजातीय कार्य विभाग जिला झाबुआ के जांच दल के द्वारा उक्त जांच प्रतिवेदन को देख कर ऐसा प्रतीत होता है कि फर्जी मार्कशीट बनाने के मुख्य मास्टरमाइंड राजू पिता अंदरू मंडोरिया एवं सुरेंद्र सिंह चौहान प्रधानाध्यापक को संरक्षण देते हुए कानूनी कार्रवाई से बचाया जा रहा एवं विभागीय वरिष्ठ अधिकारीगण को उक्त गंभीर मामले से जांच दल के द्वारा गुमराह किया जा रहा है।

माननीय न्यायालय के निर्देश में अब पुलिस संबंधित के विरुद्ध प्रकरण पंजीबद्ध कर गिरफ्तारी लेते हुए जांच में स्पष्ट हो जाएंगे कि आखिर उक्त फर्जी मार्कशीट बनाने का मास्टरमाइंड कौन है व इस मामले में और कौन-कौन अधिकारी कर्मचारी लिफ्ट है। क्योंकि उक्त फर्जी मार्कशीट में अंकित हैंडराइटिंग राजू पिता अंदरू मंडोरिया की ही है इसके बाद भी शिकायत जांच दल की जांच रिपोर्ट में इन्हे बचाया गया है। फर्जी मार्कशीट के बारे में सुरेंद्र सिंह चौहान प्रधानाध्यापक एवं आरोपी मोनिका मंडोरिया के द्वारा ही बताया गया है। यह कि मार्कशीट में अंकित हैंडराइटिंग राजू मंडोरिया की है एवं उक्त संबंध में पर्याप्त साक्ष्य भी उपलब्ध है। आवेदक उक्त मामले में पुलिस जांच में सहयोग करते हुए अपने कथनों में और कई राज खोल सकते हैं उक्त फर्जी मार्कशीट मामले में लिफ्ट कई अधिकारी कर्मचारी पुलिस जांच में लिप्त हो कर जांच में सामने आने का संदेह स्पष्ट प्रतीत होते नजर आ रहा हैं।
आप हमारे साथ बने रहिए हम अगले अंक में आपको बताएंगे कि आखिर उक्त फर्जी मार्कशीट मामले में मास्टरमाइंड कौन है। एवं उक्त आरोपियों को संरक्षण देने में किन-किन अधिकारी कर्मचारियों का हाथ है।