झाबुआ। दरअसल मामला यह है कि राजू मंडोरिया के संरक्षण में विधायक निधि से स्वीकृत विद्युत ट्रांसफार्मर को जानबूझकर निर्धारित स्थान को छोड़ कर अन्य स्थान पर लगाया जाकर गांव की भोली भाली जनता को शासन प्रशासन के उक्त विद्युत ट्रांसफार्मर के लाभ से वंचित किया गया था।
जिसकी लिखित शिकायत राजू मंडोरिया के पिता अंदारू मंडोरिया, उनके सगे भतीजे जाय पिता विजय मंडोरिया, अनुज पिता विजय मंडोरिया, आदि ग्रामीणजन द्वारा मयदस्तावेज स्वयं के द्वारा सत्यापित शपथ पत्र पेश करते हुए कलेक्टर जिला झाबुआ को लिखित शिकायत दी गई थी परंतु उस वक्त शिकायत देने वाले राजू के पिता एवं उनके सगे भतीजे को यह नहीं मालूम था कि उक्त घिनौने कृत्य का मास्टरमाइंड राजू मंडोरिया ही है शिकायत की जांच में आरोप सत्य पाए जाने पर राजू मंडोरिया एवं उनके साथीगण के उक्त घिनौना कृत्य की कॉल रिकॉर्डिंग मंडोरिया पत्रकार को षडयंत्र पूर्वक झूठे आरोप में फसने एवं जान से करने का षड्यंत्र रचने की कॉल रिकॉर्डिंग सामने आने के बाद कानूनी कार्रवाई से बौखला कर पत्रकार को झूठे आरोपों में फंसाने का लगातार षड्यंत्र रचते रहे जब कोई षड्यंत्र काम नहीं आया तो राजू मंडोरिया के द्वारा पुलिस मुख्यालय जिला झाबुआ पर पत्रकार के खिलाफ लगातार झूठी शिकायत दी गई
राजू मंडोरिया कि उक्त शिकायत के विषय में स्पष्ट यह लिखा गया है कि बिना किसी कारण के डराने धमकाने तथा झूठे केस में फंसा देने की धमकी देने तथा उच्च न्यायालय के झूठे आदेश की प्रति भेज कर डराए जाने बाबत। राजू मंडोरिया पेशे से एक सस्पेंडेड प्रशासनिक लोक सेवक होकर स्वयं शिकायत में लिखते हैं कि बिना किसी कारण के डराने धमकाने तथा झूठे केस में फंसा देने की धमकी देने आगे स्वयं लिखते हैं कि मुझ प्रार्थी से समझौते के नाम पर प्रार्थी से ₹20000 समझौता के नाम पर लिए गए अब यहां प्रश्न यह उठता है जब राजू मंडोरिया के अनुसार कोई मामला ही नहीं तो आखिर एक लोक सेवक द्वारा पत्रकार से किस बात पर समझौता का प्रस्ताव रखा गया था।
आपको ज्ञात हो कि राजू मंडोरिया के खिलाफ अल्बर्ट मंडोरिया पत्रकार द्वारा माननीय उच्च न्यायालय खंडपीठ इंदौर में याचिका दर्ज हो कर कोर्ट ऑफ कंटेंट लगा हुआ है जिसके आधार पर अल्बर्ट मंडोरिया पत्रकार के द्वारा राजू मंडोरिया के खिलाफ न्यूज़ चैनल एवं समाचार पत्र में खबरें प्रसारित, प्रकाशित की गई थी। राजू मंडोरिया एक सस्पेंड प्रशासनिक लोक सेवक से मेरा यह प्रश्न है कि आखिर आपने किन आधार पर माननीय उच्च न्यायालय के आदेश को झूठा एवं फर्जी बताते हुए पुलिस अधीक्षक को पत्रकार के विरुद्ध लिखित शिकायत दी गई हैं। माननीय पुलिस अधीक्षक से मेरा निवेदन है कि उक्त तथ्य की सूक्ष्मता से जांच की जाकर संबंधित के विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्यवाही की जाए ताकि इस प्रकार से झूठी शिकायतें किसी अन्य पत्रकार के खिलाफ न की जाए। राजू मंडोरिया एवं उनके साथी गण के विरुद्ध प्रशासनिक कार्यों में बाधा डालने के संबंध में भी उचित जांच करते हुए कड़ी कानूनी कार्यवाही की जाना चाहिए उक्त संबंध में समस्त प्रमाण अल्बर्ट मंडोरिया पत्रकार के द्वारा पुलिस थाना कल्याणपुर में पूर्व में दिए गए है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक राजू मंडोरिया द्वारा शासन प्रशासन को झूठे दस्तावेज देकर गुमराह करने आदि फर्जी दस्तावेज आदि बनाने के कार्यों में पहले से लिप्त हो कर मास्टरमाइंड रह चुके है। इनके मास्टरमाइंड के कारण आज पूरा परिवार के खिलाफ, स्वयं राजू मंडोरिया एवं उनके पिताजी अंदरू मंडोरिया उनके भतीजे जाय मंडोरिया एवं अनुज मंडोरिया, निमिष के विरुद्ध पुलिस थाना कल्याणपुर में शिकायत एवं एफ.आई.आर.भी दर्ज हो चुकी है। उक्त घिनौना कृत्य का मुख्य कारण ही राजू मंडोरिया ही है। जो एक शिक्षित लोक सेवक होने के कारण अपने परिवार को सही मार्ग दर्शन देने के बजाय संपूर्ण परिवार को एक लड़ाई झगड़ा,आपराधिक प्रवृत्ति के बनाया जा रहा है।
राजू मंडोरिया के द्वारा अपने ही परिवार को अंधकार में धकेले जाने का ताजा उदाहरण यह भी है कि राजू मंडोरिया के भतीजे अनुज मंडोरिया को अल्बर्ट मंडोरिया पत्रकार के खिलाफ झूठी शिकायत आवेदन बना कर स्वयं राजू मंडोरिया के द्वारा ही अनुज को गुमराह कर पुलिस मुख्यालय जिला झाबुआ पर लिखित शिकायत देने हेतु भेज कर अल्बर्ट मंडोरिया पत्रकार के खिलाफ शिकायत दी जाती है कि मुझसे समझौता के नाम पर अल्बर्ट मंडोरिया ने अपने घर बुलाया और मुझसे कहा कि तुम गलत गलत कर रिकॉर्डिंग कर शिकायत दर्ज लेकर₹20000 दो पूर्व में यह व्यक्ति मुझसे ₹20000 ले चुका एवं मेरी कॉलर पकड़ ली और विनोद पिता जेरू मंडोरिया, अन्नू पति अंदरू मंडोरिया के सामने मेरी कॉलर पकड़ के मुझे मारने लगा जब कहा कि भील पंचायत में राजीनामा हो गया है अब क्यों झगड़ा कर रहे हो तो वह बोला कि मैं न्यूज़ चैनल में ब्यूरो हूं मेरी पुलिस अधीक्षक से अच्छे संबंध है। उक्त दोनों शिकायते एक दिन के अंतराल में जिला मुख्यालय पर अल्बर्ट मंडोरिया पत्रकार के खिलाफ राजू मंडोरिया के ही कहने पर दी गई है। राजू मंडोरिया एवं अनुज मंडोरिया के विरुद्ध उचित जांच कर कड़ी कानूनी कार्यवाही की जाना चाहिए।
शिकायत में ध्यान देने योग्य बातें यह है कि एक तरफ अल्बर्ट मंडोरिया के विरुद्ध लिखा जाता है कि हमें झूठे आरोपों में फंसा देने की धमकी दी जाती है दूसरी तरफ शिकायत में यह भी लिखा जा रहा है कि हमारे बीच में कोई विवाद नहीं है साथ में यह भी लिखा जा रहा है कि भील पंचायत में समझौता हो गया है जबकि अल्बर्ट मंडोरिया पत्रकार के द्वारा गांव के सरपंच से उक्त शिकायत के संबंध में पुलिस थाना कल्याणपुरा से पुलिसकर्मी के समक्ष बातचीत की गई तब कलसिंग गमार सरपंच दिलीप डामोर उप सरपंच के द्वारा उक्त विवाद के संबंध में स्पष्ट कहा गया कि उक्त राजू मंडोरिया आदि के विवाद के मामले में पंचायत में किसी प्रकार का समझौता हमारे समक्ष नही हुआ है तो आखिर राजू मंडोरिया, एवं अनुज पिता विजय मंडोरिया द्वारा समझौते के नाम पर कौन सी भील पंचायत में और किन लोगों के समक्ष में समझौते के नाम पर रु.20000-20000 हजार रुपए अल्बर्ट मंडोरिया पत्रकार को दिए गए हैं।
ग्राम पंचायत के सरपंच के उक्त बयान से यह स्पष्ट होता है कि राजू मंडोरिया के द्वारा लगातार झूठे तथ्यों के आधार पर अल्बर्ट मंडोरिया पत्रकार के खिलाफ तथ्यहीन शिकायत की जाकर जानबूझकर पत्रकार की छवि को जाति समाज में पत्रकार की छवि को धूमिल करने की कोशिश की जाकर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है।
मंडोरिया पत्रकार के द्वारा उक्त मामले में किसी भी प्रकार से पंचायत में या अन्य किसी लोगों के बीच में समझौता के नाम पर किसी प्रकार की राशि नहीं ली गई। अतः पुलिस प्रशासन से निवेदन करता हूं कि उक्त शिकायत की सूक्ष्मता से जांच की जाए एवं उक्त शिकायत किसके द्वारा अल्बर्ट मंडोरिया के विरुद्ध की गई पुलिस मुख्यालय एवं कलेक्टर कार्यालय के सीसीटीवी (कैमरे)की फुटेज की जांच की जाए जिससे यह स्पष्ट हो जाए कि आखिर उक्त दोनों शिकायत किन के द्वारा जिला मुख्यालय पर दी गई है। उक्त झूठी शिकायत देने वाले के विरुद्ध उचित कानूनी कार्रवाई करते हुए उचित न्याय की व्यवस्था की जाए।
उक्त दोनों शिकायत के संबंध में पुलिस थाना कल्याणपुरा पर अल्बर्ट मंडोरिया पत्रकार को रविंद्र बर्डे द्वारा शिकायत के संबंध में कथन दर्ज करवाने हेतु मुझे मेरे मोबाइल पर सूचना देकर बुलाया गया था। परंतु उक्त शिकायत के संबंध में संभाग पोस्ट समाचार पत्र के संपादक के द्वारा राजू मंडोरिया से उक्त शिकायत को लेकर बात की गई कि आपके द्वारा शिकायत में लिखा गया है कि झूठे झूठे हाई कोर्ट के आदेश दिखाकर गलत गलत रिपोर्ट अपने न्यूज़ पेपर व न्यूज़ चैनल पर डाल रहा तथा प्रार्थी की छवि खराब कर रहा है। जब संपादक के द्वारा उक्त संबंध में राजू मंडोरिया से कहा गया है कि राजू मंडोरिया आपके द्वारा झाबुआ पुलिस मुख्यालय पर इस प्रकार की शिकायत की गई है हमारे पास हाई कोर्ट का आदेश था जिसके आधार पर हमने न्यूज़ प्रसारित प्रकाशित की गई।
राजू मंडोरिया के द्वारा उक्त शिकायत के संबंध में स्पष्ट इनकार करते हुए यह कहा गया कि मेरे द्वारा अल्बर्ट मंडोरिया पत्रकार के खिलाफ किसी प्रकार की शिकायत पुलिस मुख्यालय पर नहीं दी गई है मैं आपके हाथ जोड़ता हूं मैं भगवान की कसम खाता हूं मैंने किसी प्रकार की शिकायत किसी को नहीं दी गई है मेरे हस्ताक्षर का मिलान कर ले उक्त शिकायत में मेरे हस्ताक्षर अंकित नहीं है कहते हुए शिकायत करने से स्पष्ट इनकार किया गया है। शिकायत की प्रति देखे बिना राजू मंडोरिया को कैसे मालूम हुआ कि उस शिकायत पर मेरे हस्ताक्षर अंकित नहीं है। अब प्रश्न यह उठता है कि आखिर राजू मंडोरिया के द्वारा उक्त शिकायत नहीं की गई थी तो पुलिस थाना कल्याणपुरा पर अल्बर्ट मंडोरिया पत्रकार को आखिर उक्त शिकायत के संबंध में कथन दर्ज करवाने हेतु किन के इशारे पर बुलाया गया था अगर शिकायत नहीं की गई थी तो उक्त शिकायत की प्रती कल्याणपुरा थाने पर कहां से आई उक्त शिकायत की सूक्ष्मता से जांच की जाकर संबंधित के विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्यवाही की जाना चाहिए।
क्योंकि अल्बर्ट मंडोरिया पत्रकार के द्वारा उक्त शिकायत जांच के संबंध में सूचना के अधिकार अधिनियम में पुलिस मुख्यालय से जानकारी चाह गई परंतु आज दिनांक तक कोई जानकारी नहीं दी गई जानकारी नहीं देने से यह भी स्पष्ट होता है कि राजू मंडोरिया द्वारा की गई झूठी शिकायत जांच जांचकर्ता द्वारा जानबूझकर दबाया जा रहा है।
झाबुआ से ए.एम.लाइव ब्यूरो रिपोर्ट