जब जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी ही भ्रष्ट बन जाए तो किन से न्याय की उम्मीद रखें।
दो पीड़ित महिलाओं का आरोप नौकरी के नाम पर लाखों रुपए की रिश्वत ली गई, जिनके द्वारा मोटी रकम दी जाती है उन्हें ही के सर पर नौकरी का ताज ।
आपने सही सुना जिला प्रशासन में बैठे अधिकारी कर्मचारी के द्वारा नौकरी को अपना निजी व्यापार बना रखा है लाखों रुपए आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सहायिका पद के लिए पूर्व से ही रिश्वत की मांग कर दबाव पूर्वक लिए जाते हैं।
यह डिमांड 1 से ₹200000 लाख तक होती है, जो मोटी रकम देेता उनको नौकरी का तोहफा मिलता है अन्यथा योग्यता होने के बाद भी नौकरी नहीं मिलती, महिला बाल विकास विभाग एवं जिला मुख्यालय में दो कर्मचारी अधिकारियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार का यह गंदा खेल खेला जा रहा है
सूत्रो की माने तो रिश्वत का हिस्सा भोपाल तक पहुंचाया जाता है ऐसा स्वयं अधिकारी कर्मचारी के द्वारा भी बताया जा रहा है।
झाबुआ जिला आदिवासी क्षेत्र है कई वर्षों से यहां आदिवासी संगठन कई कार्यों में सक्रिय है परंतु देखने में यह आता है कि आदिवासी युवक युवतियों को नौकरी का झांसा देकर लाखों की रिश्वत की मांग कर धोखा दिया जाता है । ऐसे भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारियों के विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए। भ्रष्ट कर्मचारियों द्वारा 2 आदिवासी महिलाओं का आर्थिक रूप से शोषण किया गया है। परंतु आदिवासी संगठन ऐसे मामलो में सक्रिय नही इन्हे कोई जानकारी नहीं या इन्हे गरीब आदिवासियों की मदद करना ,,,,,, आखिर क्यों???
हम आपको अगले अंक में उन अधिकारी कर्मचारियों के नाम सभी के सामने लायेगे। और समाचार प्रकाशित कर उनको बेनकाब करेंगे।
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