Covid-19(नोवेल कोरोना वायरस) संक्रमण महामारी को भ्रष्ट अधिकारी, कर्मचारियों द्वारा अवसर में बदला।

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Covid-19(नोवेल कोरोना वायरस) संक्रमण महामारी को भ्रष्ट अधिकारी, कर्मचारियों द्वारा अवसर बदल दिया ।

शिकायतकर्ता आवेदन बताते हुए।

जैसे कि आप सभी जानते हैं कि कोविड-19 नोबेल कोरोना वायरस संक्रमण महामारी की रोकथाम हेतु संपूर्ण भारत देश में लॉकडाउन किया गया था। भारत सरकार के Home affairs New Delhi letter number 40-3/2020-DM-I (A)के निर्देशानुसार शासन-प्रशासन के द्वारा प्रवासी मजदूरों को उनके निवास स्थान पर प्रदेश के भीतर पहुंचाने हेतु निर्देशित किया गया था।

मध्य प्रदेश के अन्य जिलों में ऐसे प्रवासी मजदूर जिन्होंने लॉकडाउन अवधि में गुजरात राजस्थान आदि राज्यों से जिले की सीमा में प्रवेश किया गया था ऐसे में प्रवासी मजदूरों को मध्यप्रदेश राज्य के अंतर्गत आने वाले जिलों तक पहुंचाने हेतु भारी बसों,के अधिग्रहण की आवश्यकता होने पर शासन प्रशासन के निर्देशानुसार कई बसों व तूफान जीप, आदि वाहनों का अधिग्रहण किया गया था।

जैसे कि आपको ज्ञात होगा कि संपूर्ण भारत में लगभग लॉकडाउन खुल चुका है परंतु कोविड-19 महामारी में निडर होकर सेवा देने वाले वाहनों का भुगतान आज तक नहीं किया गया इन्होंने अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए लॉकडाउन में शासन प्रशासन को सहयोग की दृष्टि से भी अपने वाहनों को अधिग्रहित किया गया था।

पिटोल क्षेत्र से आए शिकायत में शिकायत कर्ताओं के द्वारा बताया गया कि लॉकडाउन में आरटीओ परिवहन अधिकारी के निर्देश पर लग भग 11-12 तूफान वाहनों को अधिग्रहित किया गया था। कोरोना वायरस महामारी में निडर होकर सेवा देने वाले उन वाहन चालकों को 29 दिन तक रोजाना अलग-अलग स्थानों पर अधिग्रहित कर वाहनों को उपयोग में लिया गया उक्त संबंध में शिकायत कर्ताओं ने तत्कालीन कलेक्टर को लिखित शिकायत द्वारा अवगत कराया गया था इसके बाद तत्कालीन श्री खराड़ी एसडीएम, साहब द्वारा पेमेंट के संबंध में कहा गया कि मुझसे नहीं होगा ऐसा कहते हुए दस्तावेज वापस लौट दिए एवं शिकायत प्रति पर प्राप्ति हस्ताक्षर पर वाइटनर से मिटा दिया गया।

लॉकडाउन में सेवा देने वाले यह शिकायतकर्ता जोरसिंह पिता खुमसिंह वाखला, रंगजी मचार,राजू मेडा, कसन भुरिया, छतर सिंह, सोम सिंह मेडा, मुकेश पिता संडिया मेडा,शैलेंद्र भाबोर राकेश मेडा, सकरिया डामोर नान सिंह भूरिया,आदि पीड़ितगण जिला मुख्यालय के चक्कर आए दिन लगा रहे हैं परंतु कोई भी जिम्मेदारी अधिकारी, कर्मचारी इनकी सुध लेने को तैयार नहीं।

जिला मुख्यालय से शिकायत कर्ताओं को आरटीओ कार्यालय भेजा जाता है कि आप संबंधित अधिकारी से बात करें वह आपकी बकाया राशि का भुगतान करेंगे। आरटीओ कार्यालय से संपर्क करने पर शिकायत कर्ताओं को कहा जाता है कि हमारे यहां से फाइल जिला मुख्यालय पर भेज दी गई है आप लोग जिला मुख्यालय पर संपर्क करें आप की बकाया राशि का भुगतान वही से ही किया जाएगा ,आरटीओ कार्यालय व जिला मुख्यालय के बीच की गुत्थी सुलझ नहीं रही ऐसे में पीड़ित को अपना अधिकार का रुपया पैसा कोन दिला पाएगा ।

इस तरह जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारियों की मिलीभगत से लॉकडाउन को अवसर में बदलते हुए गरीब के निवाले को डकार लिया गया ऐसे में शासन प्रशासन के जिम्मेदारों को इस ओर ध्यान देना चाहिए और उचित जांच कर पीड़ित को अपना अधिकार का पैसा समय पर प्रदान कर किया जाना उचित होगा।


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