Albert Mandoriya,Chief in Editor, Am Live News
झाबुआ 25 जनवरी, 2024। कृषि और उद्यानिकी विभाग द्वारा आयोजित मिलेट्स और प्राकृतिक खेती केन्द्रित कृषि विज्ञान मेले के दूसरे दिवस उद्घाटन सत्र में गुजरात राज्य से विषेष रूप से आमंत्रित डॉ. कनकलता द्वारा मुख्य वैज्ञानिकी उद्बोधन देते हुऐ उक्त उद्गार व्यक्त किये। प्रकृति के निकट रहने वाले झाबुआ जिले के किसानों को प्राकृतिक खेती के सैद्धांतिक और व्यावहारिक पक्ष की बेहतर समझ विकसित करते हुऐ जमीन पर उतारने की भरपूर संभावनाऐं है। स्वस्थ और समृद्ध समाज निर्माण में गुणवत्तायुक्त और घातक रसायनो से मुक्त खाद्यान्न की अपरिहार्य भूमिका है। प्रकृतिजन्य कृषिगत संसाधनों के बेहतर समन्वय और युक्तीयुक्त दोहन से न केवल खेती किसानी में लागत को कम किया जा सकता है, बल्कि गुणवत्तायुक्त खाद्यान्न उत्पादन के साथ-साथ बेहतर आय भी सृजित की जा सकती है। जिले के बाषिंदो को जल संरक्षण और संर्वधन की छोटी-छोटी युक्तियों को बडे पैमाने पर अपनाते हुऐ पेड पौधों की स्थानीय प्रजातियों का रोपण करना चाहिए। आज के समय में भागदौड भरी जीवनचर्या में आम नागरीक का बेहतर स्वास्थ्य एक अमूल्य निधि है। व्यक्ति के उत्तम स्वास्थ्य संर्वधन में किसान समुदाय की अपरिहार्य भूमिका है। दूरस्थ ग्रामीण अंचलो में रहने वाले परिवारो में छोटे बच्चों में कुपोषण की समस्या दिन-प्रतिदिन बढती जा रही है। गुणवत्तायुक्त और घातक रसायनो से मुक्त खाद्यान्न उत्पादित कर किसान एक अच्छे स्वस्थ और समृद्ध समाज निर्माण में अपरिहार्य भूमिका निर्वाहित कर सकता है।
जिले के विभिन्न अंचलो से मेले में आये बडी संख्या में किसानो को संबोधित करते हुऐ जिले के उप संचालक श्री एन.एस.रावत द्वारा किसानो से वैज्ञानिको द्वारा बताई विधियों को अपनाने का आव्हान किया। रावत द्वारा खेती किसानी में उन्नत और पर्यावरण हितकारी कृषि पद्धतियों और तकनीकीयो को उपयोग करने का परामर्ष दिया। सहायक संचालक उद्यानिकी नीरज सांवलिया ने अपने स्वागत उद्बोधन के दौरान खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिये उद्यानिकी फसलों और खाद्यान्न फसलों की समन्वित खेती पर जोर दिया। शासकीय योजनाओ का लाभ लेने का आव्हान करते हुऐ खेती किसानी में घातक रसायनों पर निर्भरता कम करने की सलाह दी गई। वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख के.व्ही.के. झाबुआ डॉ. जगदीश मोर्य किसाने से स्वयं का बीज बनाने, खेती की लागत कम करने की विधाओ पर विस्तृत उद्बोधन दिया। उद्यानिकी विभाग के विशेषज्ञ सुरेश इनावती ने आधुनिक उद्यानिकी से संबधित शासकीय योजनाओं की जानकारी दी। मत्स्य पालन विभाग के श्री मुवेल द्वारा जिले में मछली पालन की संभावनाओ को बढाने और विभाग की योजनाओ के संबध में विस्तार से जानकारी दी गई। पषुपालन विभाग के डॉ रमेष भूरिया ने उन्नत पशुपालन, संतुलित वैज्ञानिक पशु आहार के साथ-साथ शासकीय योजनाओ की जानकारी दी। उद्यानिकी विशेषज्ञ बल्लूसिंह चौहान ने सिंचाई जल के युक्तियुक्त और न्यायोचित उपयोग केन्द्रित सारगर्भित और तकनीकी उद्बोधन दिया। जिले में उन्नत विधि से खेती कर बेहतर उत्पादन प्राप्त करने, प्राकृतिक खेती और मिलेट्स फसलों की खेती करने वाले प्रगतिशील और अग्रणी किसानो ने मंच से अपने अनुभव साझा किये।
कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रक्षेत्र पर आयोजित विशाल कृषि मेले के समापन सत्र में अपर कलेक्टर श्री एस.एस.मुजाल्दा द्वारा अपने खेती किसानी के व्यावहारिक सुदीर्घ अनुभव साझा करते हुऐ आव्हान किया कि प्रत्येक किसान को अपनी खेती के एक चौथाई भाग को जैविक और प्राकृतिक खेती के लिये आरक्षित करते हुऐ रसायन मुक्त खेती करना चाहिये। फसल उत्पादन के साथ-साथ किसानी के सहायक उद्यम पशुपालन, मुर्गीपालन, बकरीपालन, मछलीपालन भी करना चाहिये जिससे किसान अपने लाभ की अभिवृद्धि कर सके। खेती के विभिन्न उद्यमो के साथ-साथ फसल चक्र अपनाने पर भी जोर दिया।
कार्यक्रम का समयबद्ध सूचारू संचालन तकनीकी सहायक गोपाल मुलेवा ने किया। उप परियोजना संचालक आत्मा श्री मालसिंह धार्वे ने आभार प्रदर्शन किया। मेले में कृषिगत विभागो, आजिविका परियोजना, स्वयं सहायता समूह, कृषक उत्पादक संगठनों, निजी क्षेत्र के उन्नत कृषि आदान प्रदायक प्रतिष्ठानो सहित ब्रह्माकुमारीज की शाश्वत यौगिक खेती आधारित प्रदर्शनी, स्वैच्छिक संगठनो, फसल बीमा, सहकारिता, प्रगतिशील कृषकों द्वारा आकर्षक और नवीन उत्पादो तथा जानकारीयों से समृद्ध प्रदर्शनीयां लगाई गई।
जिले के किसानो द्वारा स्वयं का प्राकृतिक विधि से उत्पादित श्री अन्न रागी, कोदो, कुटकी, कंगनी, दाले, प्रसंस्कृत उत्पाद सेंव, कूकिज धानी भी विक्रय के लिये उपलब्ध कराये गये थे। नागरीको द्वारा उत्साह से इन उत्पादो का क्रय किया गया। कार्यक्रम के दौरान कृषि, उध्यानिकी विभागो सहित कृषिगत विभागो और स्वेच्छिक संगठन के अमले द्वारा सक्रिय सहभागिता की गयी ।
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