जी हां आपने सही सुना त्योहारों का सीजन है कई लोगों के घरों में इन दिनों नई बाइक खरीदने की योजनाएं बनाई जा रही होगी।
आपका शुभ मुहूर्त आपके लिए आफत का मुहूर्त न बन जाए तो हो जाइए आप भी सतर्क!!!

हमारे AM LIVE टीम को एक नहीं दो नहीं कई ग्राहकों ने अपनी आपबीती सुनाई गए जिले भर में ऐसे कई ग्राहक है जिन्होंने अपनी पूंजी लगाकर कैश पेमेंट देकर मोटरसाइकिल खरीदी गई हैं। परंतु आज तक उनके नाम पर गाड़ी रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाई जी हां 4-5 वर्षों के बाद भी। बाइक शोरूम मालिक के द्वारा ग्राहक के द्वारा कैश पेमेंट देकर खरीदी गई बाइक को जानबूझकर रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया गया या इसके पीछे कोई बड़ी साजिश।
जबकि भारत सरकार के द्वारा मोटरयान संशोधन अधिनियम 2019 की धारा 41 में प्रावधान है कि यदि वाहन किसी भी राज्य में पंजीकृत होना है जिस राज्य में डीलर स्थित है तो वाहन पंजीकृत हेतु आवेदन डीलर द्वारा किया जाएगा तथा ग्राहक के वाहन पर पंजीकृत चिन्ह प्रदर्शित के बगैर डीलर द्वारा वाहन स्वामी यानी ग्राहक को वाहन प्रदान नहीं किया जाएगा।
उक्त नियमों को ताक पर रखते हुए बाइक शोरूम मालिक ग्राहकों के साथ सरेआम धोखाधड़ी करता है। इस बात की भनक स्वयं ग्राहक को भी नहीं होती है। इसके पीछे शायद एक कारण यह भी हो सकता है कि शासन प्रशासन से टैक्स चुराने के गलत इरादे से जानबूझकर बाइक शोरूम संचालक के द्वारा समय पर संबंधित ग्राहक के नाम पर बाइक का रजिस्ट्रेशन नहीं किया जा जाता है।
सूत्रों के मुताबिक जिस ग्राहक के द्वारा गाड़ी के रजिस्ट्रेशन को लेकर वाद-विवाद या सक्ति बरती गई उक्त परिस्थितियों में बाइक शोरूम मालिक द्वारा पूर्व में ग्राहक को बेची गई बाइक ग्राहक से दबाव पूर्वक वापस ले ली जाती हैं। उसके बदले में उन्हें अन्य बाइक जबरन थमाई दी जाती है जिससे बाइक शोरूम मालिक को यह फायदा हो जाता है कि पूर्व में बेची गई बाइक के संबंध में ग्राहक के पास या जिला परिवहन कार्यालय के पास कोई सबूत नहीं बचता जिससे यह कभी स्पष्ट नहीं हो पाता है कि शोरूम मालिक ने बाइक कितनी और किन किन ग्राहकों को बाइक बेची गई है। इसका असर सीधे-सीधे शासन प्रशासन को राजस्व क्षति होती है। सीधी भाषा में हम कहे तो टैक्स चोरी। जिले भर में लगभग वर्ष भर में लगभग 500 गाड़ियां इस प्रकार से ग्राहकों को बिना रजिस्ट्रेशन के बेची जा रही है तो साल भर में बाइक शोरूम संचालक को लाखों का फायदा व शासन प्रशासन को टैक्स में घाटा ही घाटा । इस खेल में कई लोगों की मिलीभगत होने का अंदेशा है।
झाबुआ जिले का वह कोन मोटरसाइकिल बाइक शोरूम का मालिक है जो ग्राहक की गाड़ी कैश पेमेंट में खरीदने के बाद भी ग्राहक अपने नाम गाड़ी रजिस्ट्रेशन नहीं करवाता, उक्त शोरूम मालिक की षडयंत्र ठगी के शिकार अधिकतर ग्रामीण क्षेत्र से अनपढ़ आदिवासी एवं कुछ पढ़े लिखे समझदार ग्राहक भी झांसे में आ गए हैं। पीड़ित ग्राहक के द्वारा प्रशासन से यह मांग रखी गई हैं। कि उक्त शोरूम को तत्काल प्रशासनिक प्रभाव से निरस्त किया जाए।
सूत्रों के मुताबिक उक्त शोरूम मालिक के द्वारा ठगी के शिकार हुए ग्राहकों के लिए अलग से स्पेशल रिकॉर्ड भी तैयार किया जाता। किसी प्रकार की समस्या होने पर तत्काल ग्राहक की गाड़ी को ग्राहक के नाम पर या किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर तत्काल रजिस्ट्रेशन करवाया जा सके। सूत्र यह केे मुताबिक शोरूम संचालक का जिला परिवहन कार्यालय में भी सांठगांठ संभवत हो सकती है।
हम अगले अंक में पूर्ण जानकारी के साथ फिर लौटेंगे तब तक के लिए बने रहे हमारे साथ।
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