एकीकृत महिला बाल विकास परियोजना पेटलावद में सहायिका पद पर फर्जी नियुक्ति का मामला सामने आया ।

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महिला बाल विकास परियोजना पेटलावद में सहायिका भर्ती मामले में फर्जी नियुक्ति का मामला सामने आया।

इशिता मसानिया परियोजना अधिकारी महिला बाल विकास पेटलावद

मामला एकीकृत बाल विकास सेवा परियोजना पेटलावद के अंतर्गत ग्राम बावड़ी,मातापाड़ा फलिया का है।

आंगनवाड़ी भवन

महिला बाल विकास विभाग द्वारा सारे नियमों को ताक पर रखते हुए वर्ष 2018-19 में सहायिका पद पर जिम्मेदार अधिकारी, कर्मचारियों के द्वारा नियुक्ति संबंधित दस्तावेजों की बिना किसी जांच के एक के बाद एक नियुक्तियां की गई है।

नियुक्ति आदेश पत्र

एकीकृत बाल विकास सेवा परियोजना पेटलावद द्वारा आंगनवाडी सहायक का तुलनात्मक पत्र अंतिम सूची के अनुसार महिला बाल विकास परियोजना अधिकारी द्वारा प्रथम वरीयता श्रीमती चंद्रप्रभा पति मनोज कुमार गहलोत को उनकी योग्यता अनुसार दस्तावेजों के आधार पर कुल 63 अंक प्रदान करते हुए उन्हें उक्त पद के लिए प्रथम वरीयता दी गई।

श्रीमती नर्मदा मुनिया

ग्राम बावड़ी मातापाड़ा फलिया से चंद्रप्रभा के विरुद्ध आपत्ति दर्ज करवाई गई उक्त संबंध में चंद्रप्रभा के दस्तावेजों की जांच करने पर ग्राम पंचायत बावड़ी की निवासी नहीं पाई जाने पर उनकी नियुक्ति निरस्त की गई।

स्पष्ट प्रतीत होता है कि एकीकृत बाल विकास परियोजना पेटलावद स्तर पर अधिकारी,कर्मचारियों द्वारा अपनी मन मर्जी से वरीयता सूची बनाकर गरीब ग्रामीण के भविष्य से खिलवाड़ किया गया, अब प्रश्न यह उठता है कि महिला एवं बाल विकास विभाग में नियुक्ति को लेकर कोई पारदर्शिता नहीं है। यदि परियोजना अधिकारी पेटलावद के द्वारा यथा समय चंद्रप्रभा के समस्त दस्तावेजों की सूक्ष्मता से जांच की गई होती तो उक्त परिस्थितियों से आज श्रीमती नर्मदा पति मुकेश मुनिया, निवासी ग्राम बावड़ी, एवं श्रीमती देवली पति मनीष गरवाल ग्राम बावड़ी एक ही ग्राम में निवासरत मिलनसार व्यक्तियों के बीच आज विवाद की स्थिति नहीं बनी होती ।

कारण स्पष्ट है कि श्रीमती नर्मदा पति मुकेश मुनिया को पूर्व में इसी पद पर विधि-विधान से जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला बाल विकास विभाग जिला झाबुआ द्वारा नियुक्त किया गया, परंतु विपक्ष श्रीमती देवली पति मनीष गरवाल द्वारा उक्त नियुक्ति से व्यथित होकर जिला मुख्यालय पर अपर कलेक्टर कार्यालय जिला झाबुआ में मयदस्तावेज अपील प्रस्तुत की गई परियोजना अधिकारी पेटलावद,इशिता मसानिया द्वारा स्वयं कहा गया की श्रीमती देवली पति मनीष गरवाल को मेरे द्वारा ही परामर्श किया गया था कि आप कमलेश जैन अपर कलेक्टर रीडर से जाकर मिले वह कोई रास्ता निकाल लेंगे और आप को न्याय मिलेगा। यह भी कहा गया कि जिले स्तर से हम पर बहुत दबाव बनाए जाने से हम आपकी नियुक्ति नहीं कर सकते । आखिर परियोजना अधिकारी पर जिले स्तर से किसके द्वारा दबाव बनाए जाने पर पूर्व में ही यह नियुक्ति नहीं की जा सकी यह एक जांच का विषय है इस पर सूक्ष्मता से जांच होनी चाहिए।

एकीकृत बाल विकास परियोजना पेटलावद के पत्र क्रमांक 486 दिनांक 18-12-2020, आदेश न्यायालय अपर कलेक्टर झाबुआ के परिपालन में श्रीमती नर्मदा पति मुकेश मुनिया की सेवा समाप्त करते हुए श्रीमती देवली पति मनीष गरवाल को नियुक्त किया गया।

नियुक्ति निरस्त आदेश

अब श्रीमती नर्मदा मुनिया उचित न्याय के लिए उच्च न्यायालय खंडपीठ इंदौर जाने की पूर्ण तैयारी में है आखिर यह क्रम कब तक चलता रहेगा अधिकारी कर्मचारी के द्वारा कम पढ़े लिखे ग्रामीणों के साथ यह आंख मीचोली का खेली किसके इशारे पर खेला जा रहा है।
परियोजना अधिकारी के द्वारा बताया गया कि हम पर जिले स्तर से दबाव होने के कारण पूर्व में नियुक्ति नहीं की गई और उक्त नियुक्ति जिला कार्यक्रम अधिकारी द्वारा जिले से की गई है। उक्त नियुक्ति को अप्पर कलेक्टर के द्वारा खारिज करते हुए श्रीमती देवली को नियुक्त किया गया।

इसे महिला बाल विकास का स्वार्थ कहें या लापरवाही एक ही पद पर एक के बाद एक बिना दस्तावेज की जांच किए नियुक्तियां कर दी गई आखिर किसके इशारे पर यह नियुक्तियां की जाती है शासन-प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी,कर्मचारीयो को इस ओर विशेष ध्यान देते हुए फर्जी नियुक्तियों की उच्च स्तरीय जांच करवानी चाहिए। जिससे ग्रामीण क्षेत्र के कम पढ़े लिखे लोगों के साथ हो रहे अन्याय को रोका जा सके।

यह भी सत्य है कि महिला एवं बाल विकास विभाग में यह आम बात है कि भर्ती प्रक्रिया के नियमों के विरुद्ध नियुक्तियां जिले भर में कई जगह ऐसी शिकायत है आती है उचित न्याय नहीं मिलने के कारण गांव के लोगों में आपसी मनमुटाव झगड़े उत्पन्न होते हैं जिसका सीधा कारण यह होता है कि जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी के द्वारा यथा समय नियुक्ति संबंधित दस्तावेजों की जांच नहीं की जाने के कारण यह विडंबना एक के बाद एक उत्पन्न होती चली जाती है।

मामला गम्भीर होता हुआ नज़र आ रहा है भर्ती प्रक्रिया में योग्यता के अंक नहीं रुपयों के बढते अंक देखें जा रहें हैं। भविष्य में इसके गम्भीर परिणाम सामने आयेंगे । आवेदक मेरिट अंक बढ़ाने के बजाए अपनीे जेब के अंक बढ़ाते नजर आयेंगे । और वहीं आवेदक मेहनत के दम पर नहीं रिश्वत के दम पर नौकरी हासिल करने के प्रयास करेंगे ।

श्रीमती नर्मदा पति मुकेश मुनिया का आरोप यह भी है कि श्रीमती देवली पति मनीष गरवाल द्वारा रिश्वत 1,00000/- लाख रुपए में उक्त नियुक्ति करवाई गई है जिसमें महिला बाल विकास का हाथ है। पीड़िता के अनुसार उन पर संबंधित विभाग के अधिकारी कर्मचारी द्वारा उक्त नियुक्ति के निरस्त आदेश स्वीकार करने हेतु लिखित में देने के लिए दबाव बनाया जा रहा है क्योंकि यदि मैं उक्त पद के लिए पात्र नहीं होती तो जिला कार्यक्रम अधिकारी के द्वारा मुझे किन आधारों पर नियुक्त किया गया यह भी एक जांच का विषय है ऐसा पीड़िता के द्वारा बताया जा रहा है। मैं पिछले 3 माह से नौकरी पर कार्यरत होकर वेतन भी प्राप्त कर चुकी हूं ऐसे में मेरे साथ हो रहे अन्याय को मैं बर्दाश्त नहीं करूंगी मैं संबंधित के विरूद्ध उचित जांच करवाऊंगी।

झाबुआ से पंकज परमार की रिपोर्ट।

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